अभातेयुप के 58वें राष्ट्रीय अधिवेशन के मंचीय कार्यक्रम में वंदनीय साध्वी प्रमुखा श्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में युवाशक्ति को प्रेरणा देते हुए फरमाया कि जीवन के 3 भाग है - बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था और 3 शब्द है Energy, time, vision

बाल्यावस्था और वृद्धावस्था में इनमें से दो चीजें प्राप्त होती है लेकिन तीनों नहीं युवावस्था में यह तीनों चीजें उपलब्ध होती है। अभातेयुप अपने विजन के आधार पर आगे बढ़ रही है। आध्यात्मिक विजन है सब दुखों से मुक्ति प्राप्त करना। सम्यक दर्शन, ज्ञान, चरित्र, तप की आराधना कर कुश्खमुक्ति प्राप्त हो सकती है। अभातेयुप के उपक्रम आध्यात्मिक आराधना के प्रकल्प है। भिक्षु दर्शन कार्यशाला, सम्यक दर्शन कार्यशाला, 12 व्रत, त्यागी गुरुवार आदि उपक्रम आध्यात्मिक चिंतन है। सामाजिक दृष्टि से भी अनेक कार्य कर रहे हैं। मिक्षु ने लौकिक लोकोत्तर धर्म बताए। अभातेयुप लोकोत्तर व लौकिक दोनों धर्म पर ध्यान दे रही है। युवा शक्ति का स्त्रोत होता है लेकिन शक्ति contstructive a destructive दोनों हो सकती है। विवेक संपन्न क संपन्न युवा अप अपनी शक्ति और ऊर्जा का सृजनात्मक उपयोग करते है, विध्वंस के लिए नहीं। हमारे युवक श्रद्धा संपन्न है। यह संस्था गुक ईंगित के प्रति समर्पित है इसीलिए प्रगति शिखर पर चढ़ रही है।